The smart Trick of Shodashi That No One is Discussing

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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?

सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।

प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?

सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥

He was so effective that he produced your entire environment his slave. Sage Narada then asked for the Devas to complete a yajna and from your fireplace from the yajna appeared Goddess Shodashi.

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति website प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra results in a spiritual protect all over devotees, protecting them from negativity and damaging influences. This mantra acts like a supply of protection, aiding men and women maintain a favourable environment no cost from psychological and spiritual disturbances.

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।

ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥

The Sadhana of Tripura Sundari can be a harmonious blend of looking for enjoyment and striving for liberation, reflecting the dual elements of her divine character.

It is mostly located that wisdom and prosperity usually do not continue to be together. But Sadhana of Tripur Sundari presents both and likewise eliminates sickness along with other ailments. He hardly ever goes underneath poverty and will become fearless (Shodashi Mahavidya). He enjoys all of the worldly contentment and will get salvation.

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